हिंदी मेरी माँ की भाषा
हिंदी मेरी माँ की भाषा
(चौपाई)
हिंदी मेरी माँ की भाषा।
सुंदर मानव की यह आशा।
हिंदी से ही जन्म खिला है।
हिंदी से ही अन्न मिला है।।
हिंदी में जागा सोया हूँ।
हिंदी में रोटी पोया हूँ।।
हिंदी का जल अति निर्मल है।
हिंदी वायु शुद्ध उज्ज्वल है।।
हिंदी का है व्योम निराला।
यह मीठे वचनों की हाला।।
सकल धरा पर हिंदी उत्तम।
मोहक हिंदी शिव पुरुषोत्तम।।
हिंदी भव की पावन सरिता।
विश्वमोहिनी हिंदी कविता।।
भवसागर हिंदी को जानो।
हिंदी-रत्न सदा पहचानो।।
सोंधी हिंदी की माटी है।
मौलिकता की परिपाटी है।।
हिंदी में सद्ज्ञान छिपा है।
हिंदी में ही प्रेम-वफ़ा है।।
जो हिंदी को नहीं जानता।
आजीवन केवल पछताता।।
हिंदी से ही जन्मभूमि है।
हिंदी पावन पृष्ठभूमि है।।
हिंदी को जो अपनाता है।
मोहक मानव कहलाता है।।
हिंदी का जो प्रिय अनुरागी।
जग में वह मानव बड़ भागी।।
हिंदी ही उत्तम रिश्ता है।
बिन हिंदी जीवन घिसता है।।
जो हिंदी में लेखन करता।
प्रेम-ध्वजा ले सदा थिरकता।।
प्यारे! हिंदी को अपनाओ।
अपना जीवन सफल बनाओ।।
बन जाओ तुम लेखक-चिंतक।
कवि-कोविद सब का शुभ चिंतक।।
हितकारी बन मंगलकारी।
दिव्य मनीषी शिष्टाचारी।।
जानो हिंदी को अंत्योदय।
सकल विश्व हेतु सूर्योदय।।
ऋषि-मुनिवर हिंदी में रहते।
गुरु वशिष्ठ हिंदी में रमते।।
सन्दीपनि का गेह यही है।
महा वृहस्पति स्नेह यही है।।
जिसने हिंदी को अपनाया।
वही आत्मदर्शन कर पाया।।
हिंदी पर यदि गर्व करोगे।
विश्व शांति का पर्व बनोगे।।
हिंदी में नायक रहता है।
प्रिय सपूत लायक बनता है।।
हिंदी में है प्रेमशिरोमणि।
बल-बुधि-विद्या-ज्ञान-रत्नमणि।।
हिंदी में मानव बसता है।
हिंदी से दानव डरता है।।
हिंदी वैश्विक प्राणदान है।
महा मंत्रमय आन-बान है।।
यही हॄदय का दिव्य केंद्र है।
अवधपुरी का राघवेंद्र है।।
महिषासुर का मर्दन करती।
माँ दुर्गा का वन्दन करती।।
पूजनीय नमनीय यही है।
अति भावुक कमनीय यही है।।
हिंदी माँ में कोमलता है।
विश्वव्यापिनी निर्मलता है।।
हिंदी का इतिहास नगीना।
हिंदी सावन श्वांस महीना।।
हिंदी में नित पावनता है।
मोहक चंदन शीतलता है।।
हिंदी में जो रचा-बसा है।
सारे जग में वही हँसा है।।
जो हिंदी से नफरत करता।
सिर धुन-धुनकर केवल रोता।।
हिंदी पावन स्तुत्य मर्म है।
मानवता का सत्य धर्म है।।
प्यारे! अब हिंदी बन जाओ।
माथे की बिंदी बन गाओ।।
सदा प्रीति का पाठ पढ़ाओ।
सरल रीति की राह दिखाओ।।
बन जाओ जगमीत महातम।
मिटने दो अब रोग-तिमिर-तम।।
यह केवल हिंदी से संभव।
हिंदी बिन यह निरा असंभव।।
हिंदी से रच दे संसारा।
प्यारा मोहक सुखमय सारा।।
Renu
23-Jan-2023 05:00 PM
👍👍🌺
Reply